कुंडली में तीसरा भाव सहज भाव कहलाता है | इस भाव को पराक्रम स्थान भी कहते हैं| इस भाव से छोटे भाई बहन, संचार माध्यम, शुरुआती शिक्षा आदि के विषय में पता चलता है | काल पुरुष की कुंडली में तृतीय भाव मिथुन राशि आती है जिसका स्वामी बुध है| इस भाव में सूर्य होने पर जातक यात्रा करने का शौक़ीन, और संचार माध्यमों पर ध्यान केंद्रित करता है | तृतीय भाव में चन्द्रमा होने पर जातक कल्पनाशील और रचनात्मक प्रवृत्ति का होगा | गुरु होने पर भाई बहन से अच्छे सम्बन्ध होंगे | शुक्र होने पर अच्छा वक्ता, कवि व सभी संचार माध्यमों पर अच्छी पकड़ होती है | मंगल होने पर मानसिक रूप से सक्रिय व ऊर्जावान होगा | बुध होने पर कुशल संचारक बनाएगा | इस भाव में शनि होने पर व्यक्ति गंभीर और व्यवस्थित बनाएगा | राहु होने पर अच्छा भाग्य और क्रन्तिकारी प्रवृत्ति का बनाएगा | केतु होने पर भाई बहन से सम्बन्ध खराब कराएगा |