ज्योतिष शास्त्र में हर एक ग्रह की महादशा और अंतर्दशा होती है. इन दशाओं के परिणाम व्यक्ति पर शुभ और अशुभ दोनों हो सकते हैं. आज हम मंगल की महादशा के बारे में बात करेंगे. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल को मेष और वृश्चिक दो राशियों का स्वामित्व प्राप्त है | मंगल की महादशा व्यक्ति पर 7 साल तक चलती है.
मंगल की महादशा का व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव
कुंडली में मंगल ग्रह की सकारात्मक स्थिति
वैदिक ज्योतिष अनुसार मंगल ग्रह अगर जन्मकुंडली में सकारात्मक स्थित हो तो वह व्यक्ति साहसी और पराक्रमी होता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति पुलिस, सेना, खेल में खूब नाम रोशन करता है. इसी के साथ व्यक्ति को खूब मान सम्मान, पद प्रतिष्ठा मिलती है. मंगल मजबूत होने पर महादशा का भी शुभ परिणाम मिलता है साथ ही लग्न का मंगल व्यक्ति को समाज में प्रभावशाली बनाता है। व्यक्ति को प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को पैतृक संपत्ति का भी लाभ मिलता है।
अगर कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में हो
अगर किसी व्यक्ति कि कुंडली में मंगल की अशुभ स्थिति हो या नीच के स्थान में हो तो उसे वैवाहिक जीवन में तनाव रहता है। पीड़ित मंगल के प्रभाव से व्यक्ति को किसी दुर्घटना का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति के पारिवारिक जीवन में भी समस्याएं आती हैं। उसे शत्रुओं से पराजय, ज़मीन संबंधी विवाद, क़र्ज़ आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही व्यक्ति डरपोक प्रवृत्ति का हो जाता है। कमजोर मंगल के लक्षण पहले से ही दिखने लग जाते हैं. अगर इन लक्षणों को पहचान लिया जाए तो अशुभ परिणामों से बचा जा सकता है वरना मंगल की महादशा का फल कष्टकारी हो जाता है | वहीं प्रापर्टी में उसको नुक्सान का सामना करना पड़ता है।
कैसे करें मंगल ग्रह को मजबूत?
1- अगर मंगलवार के दिन पान का बीड़ा बजरंगबली को नियम से चढ़ाया जाए तो आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही मंगल का अशुभ प्रभाव कम होगा।
2- मंगल ग्रह की अशुभता कम करने के लिए मंगलवार के दिन हनुमानजी के मंदिर में जाएं और बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं। ऐसा करने से आपको हनुमान जीवन का आशार्वाद प्राप्त होगा। साथ ही मंगल ग्रह का अशुभ प्रभाव कम होगा।
3- अगर आपका कोई काम बनते- बनते बिगड़ जाता हो तो मंगलवार के दिन गुड़ और भुने हुए चने बंदरों को या फिर लाल रंग की गाय को खिला सकते हैं। ऐसा करने से मंगल ग्रह की नकारात्मकता भी कम होगी।
4- मंगल ग्रह की अशुभता दूर करने के लिए निम्न मन्त्र का जाप करें।
ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: