यदि आपका जन्म अश्लेषा, ज्येष्ठा या रेवती नक्षत्र में हुआ है आपका अनुरक्त ग्रह मंगल बनता है| आपको अब कर्मयोगी बनने का वक्त आ गया है | आपको पूर्व जन्म के ऋणानुबन्धन आधार पर कर्मभोगी से कर्मयोगी बनने की यात्रा आरम्भ हो चुकी है |
आप अपने माता पिता से पूर्व जन्म में किसी न किसी प्रकार से अवश्य जुड़े रहे होंगे, चाहे पूर्व जन्म में वे आपके पिता, पुत्र, माँ, बहन, पत्नी या घनिष्ठ मित्र के रूप में हो सकते हैं | जीवन के आरम्भ में आप अत्यधिक महत्वाकांक्षी हो सकते हैं पर जब आपको इस बात का ज्ञान हो जाता है कि मैं अति महत्वाकांक्षी हो रहा हूँ तभी से आपके जीवन में प्रगति आरम्भ हो जाती है |
ऐसा भी संभव है कि इस जीवन में उन्हें संतान से सम्बंधित कोई न कोई कष्ट भोगना पड़े |
इस जीवन में आप किसी भी क्षेत्र में काम कर रहे हो, आपको अपने कर्म करते हुए अपने ऋणानुबन्धन को समाप्त करना होगा |
यद्यपि विभिन्न भावों में मंगल कि स्थिति के अनुसार कुछ अन्य फल भी जुड़ जाएंगे जिनके विषय में आगे चर्चा कि जायेगी|