क्या आपको गीत संगीत, अत्यधिक प्रिय है, आपके अंदर एक कलाकार है जो अपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए लालायित है | आप एक से अधिक कलाओ की तरफ आकर्षित होते हैं पर एक को पूरा किये बगैर दूसरे और फिर
उसे भी बीच में छोड़ कर तीसरी कला की ओर जुड़ जाते हैं और सभी कलाएं अधूरी रह जाती हैं | दुनिया के वैभव आपको अत्यधिक आकर्षित करते हैं | ऐसा आपके अनुरक्त ग्रह शुक्र के कारण हो सकता है |
यदि आपका जन्म आर्द्रा, स्वाति या शतभिषा नक्षत्र में हुआ है आपका अनुरक्त ग्रह शुक्र बनता है | पूर्व जन्म में आप विभिन्न प्रकार के सुख साधनो से परिपूर्ण और वैभव पूर्ण परिवार में जन्मे थे और जीवन त्याग करने से पूर्व आपके भोग की कुछ इच्छाएं अतृप्त रह गयीं थी | इन्ही आकाँक्षाओं के कारण ये इस जीवन चक्र में फंस गए |
पूर्व जन्म में आपका अपनी इन्द्रियों पर कंट्रोल नहीं था | अतः आपको इस जन्म में अपनी इन्द्रियों पर कंट्रोल कर लेना चाहिए | इसके लिए आप लोगों को योग साधना सीखनी चाहिए | आपको इस जीवन में भी भोग के अनेक साधन मिलेंगे पर उन भोगों को निष्क्रिय भाव से भोगना चाहिए | अर्थात इस जीवन में मिले भोग को बिना उसमे संलिप्त हुए भोगना चाहिए | आपकी कुंडली में शुक्र जिस भाव में है, उस भाव से सम्बंधित भोग निष्क्रिय भाव से भोग लेने चाहिए जिससे ये अगले जन्म के लिए स्थानांतरित न हो| ऐसा करने से आप मोक्ष के मार्ग की ओर अग्रसर हो जायेंगे |
यद्यपि विभिन्न भावों में शुक्र की स्थिति के अनुसार कुछ अन्य फल भी जुड़ जाएंगे जिनके विषय में आगे चर्चा कि जायेगी|