क्या आप जानते हैं कि हम सबका यह जन्म हमारे पिछले जन्म से जुड़ा हुआ है | कुंडली के माध्यम से हम यह जान सकते हैं कि पिछले जन्म के किन ऋणानुबन्धनों के कारण हमे यह जीवन प्राप्त हुआ है और उनका हमारे जीवन पर किस प्रकार से प्रभाव पड़ेगा और हमारा यह जीवन किस दिशा में जाएगा | इसके लिए हमे C.P.P.L. (CENTRAL PLANET FOR PREVIOUS LIFE) अर्थात अनुरक्त ग्रह को जानना होगा
शास्त्रों के अनुसार इसका निर्धारण जन्म के छठे दिन हो जाता है | (उत्तर भारत में इसके लिए छठी का संस्कार निर्धारित है)
विधना ने जो लिख दयी छठी रात्रि के अंक।
राई घटे न तिल बढ़े रहो जीव निशंक।।
अनुरक्त ग्रह वे ग्रह होते हैं जो जातक के पूर्व जन्म को इस जन्म से जोड़ते हैं | अर्थात पूर्व जन्म की कौन सी इच्छा अपूर्ण रह गयी थी या कौन सा ऋणानुबन्धन अधूरा रह गया था और उसे लेकर हम इस जीवन में आये हैं | और उनका हमारे इस जीवन पर क्या प्रभाव रहेगा |
इसके लिए हमें सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि जातक का अनुरक्त ग्रह क्या है |
इसके लिए जातक के जन्म नक्षत्र के स्वामी ग्रह से छठे नक्षत्र के स्वामी ग्रह को या जन्म नक्षत्र के स्वामी ग्रह से पिछले पांचवा नक्षत्र का स्वामी ग्रह अनुरक्त ग्रह कहलाता है |
आगे के भागों में हम प्रत्येक अनुरक्त ग्रह के विषय में चर्चा करेंगे| साथ ही साथ यह किस प्रकार हमारे पूर्व जन्म के ऋणानुबन्धन से जुड़ा है | और इनका हमारे इस जीवन पर इनका क्या प्रभाव रहेगा |